
बिजली चोरी (Electricity Theft) पर अंकुश लगाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने ऊर्जा निगम (Energy Corporation) को कड़े निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऊर्जा विभाग को बिजली चोरी पर सख्त कार्रवाई करने और बकायेदारों से राजस्व वसूली सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इस अभियान के तहत हरिद्वार, रुड़की और अन्य क्षेत्रों में सख्त कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
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बिजली चोरी पर सख्त रुख
ऊर्जा सचिव आर. मिनाक्षी सुंदरम ने विशेष अभियान की घोषणा करते हुए कहा कि बिजली चोरी से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। सोमवार से शुरू हुए इस अभियान में विजिलेंस टीमों को हरिद्वार जिले में तैनात किया गया है।
ऊर्जा निगम की टीमों ने अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी करते हुए बिजली चोरी के 12 मामले पकड़े हैं, जबकि 1,353 बकायेदारों के कनेक्शन काट दिए गए हैं। वहीं, रुड़की में 40 टीमों ने शहरी और ग्रामीण इलाकों में छानबीन करते हुए 3,200 से अधिक बकायेदारों के कनेक्शन बंद कर दिए।
बिजली चोरी रोकने के लिए उठाए गए बड़े कदम
ऊर्जा निगम ने बिजली चोरी रोकने के लिए हाईटेक तकनीक का सहारा लिया है। स्मार्ट मीटर (Smart Meter) और डिजिटल निगरानी प्रणाली (Digital Monitoring System) की मदद से उपभोक्ताओं की बिजली खपत पर नजर रखी जा रही है।
रामनगर डिवीजन में बिजली चोरी रोकने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। यहां एक गली में केवल दो उपभोक्ताओं ने बिजली बिल जमा किया था, इसलिए पूरी गली की आपूर्ति रोक दी गई, जबकि उन दो उपभोक्ताओं को अलग से बिजली दी गई। इससे बकायेदारों को समय पर बिल भुगतान करने के लिए बाध्य किया जा सकेगा।
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आम जनता को कैसे मिलेगा लाभ?
बिजली चोरी पर लगाम लगाने से सबसे बड़ा फायदा ईमानदार उपभोक्ताओं को होगा। चोरी के कारण बिजली दरें बढ़ती हैं और इसका बोझ आम उपभोक्ताओं पर पड़ता है। जब सरकार चोरी पर नियंत्रण करती है, तो बिजली की कीमतों में स्थिरता आती है और निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
ऊर्जा निगम ने सभी उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे समय पर अपने बिजली बिलों का भुगतान करें ताकि उन्हें किसी असुविधा का सामना न करना पड़े। सरकार का यह अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा ताकि बिजली चोरी को पूरी तरह रोका जा सके।